क्या है कालसर्प दोष?, कालसर्प योग के लक्षण, कालसर्प दोष निवारण उपाय

प्रियंका पाल 

आज हम ज्योतिष शास्त्र में सबसे चर्चित, विवादास्पद योग की चर्चा करते हैं, कुंडली में काल सर्प दोष का निर्माण राहु एवं केतु की स्थिति पर निर्भर करता है। हालांकि कई ज्योतिषाचार्य काल सर्प योग को नहीं मानते हैं। आइए समझते हैं कि कालसर्प दोष क्या होता है और इसके निवारण का क्या उपाय होता है।

👉 क्या है कालसर्प दोष ?

व्यक्ति के जन्मांग चक्र में राहु और केतु की स्थिति आमने सामने की होती है। दोनों 180 डिग्री पर रहते हैं। यदि बाकी सात ग्रह राहु केतु के एक तरफ हो जाएं और दूसरी ओर कोई ग्रह न रहे, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है। इसे ही कालसर्प दोष कहा जाता है। हालांकि कालसर्प योग का निर्धारण करते समय अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।

👉 कालसर्प योग के लक्षण

1. बाल्यकाल में किसी भी प्रकार की बाधा का उत्पन्न होना। अर्थात घटना-दुर्घटना, चोट लगना, बीमारी आदि का होना।

2. विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई बीच में ही छूट जाना। पढ़ाई में मन नहीं लगना या फिर ऐसी कोई आर्थिक अथवा शारीरिक बाधा जिससे अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाए।

3. वैवाहिक जीवन में तनाव और विवाह के बाद तलाक की स्थिति भी पैदा हो जाती है।

4. व्यक्ति जिनका आपने कभी भला किया हो, उन्ही लोगो से धोखा खाना।

5. घर में कोई न कोई सदस्य बीमार हो और वह स्वस्थ नहीं हो पा रहा हो साथ ही बीमारी का कारण पता नहीं चल रहा है।

6. आए दिन घटना-दुर्घटनाएं होते रहना।

7.संतान का न होना या गर्भ गिरना और यदि संतान हो भी जाए तो उसको कोई न कोई समस्या बनी रहना।

8. रोजगार में दिक्कत या फिर रोजगार हो तो तरक्की न होना।

9. रोज घर में कलह का होना,  घर मे मन न लगना।

10. घर-परिवार में मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होना।

11. यदि परिवार में किसी का गर्भपात या अकाल मृत्यु हुई है तो यह भी कालसर्प दोष का लक्षण है।

12. घर के किसी सदस्य पर प्रेतबाधा का प्रकोप रहना या पूरे दिन दिमाग में चिड़चिड़ापन रहना।

13. जातक को प्राय: स्वप्न में सर्प का दिखाई देना।

14. गुप्त शत्रुओं का होना, कार्य में बाधा लगातार किसी के होने का आभास होना।

15. राहु की दशा अंतर्दशा में जातक का मानसिक तनाव, लगातार कोई पीछा कर रहा ऐसा आभास होना , स्वप्न अधिक आना।

👉 कालसर्प दोष निवारण उपाय

उज्जैन व त्र्यम्बकेश्वर में इस दोष से मुक्ति का सबसे उत्तम स्थान माना गया है, जहां राहु केतु की पूजा से शांति करवाई जाती है। लेकिन हर व्यक्ति की सामर्थ्य इस कार्य को करने की नहीं होती, क्योंकि समय ज्यादा लगता है तथा यह काफी खर्चीला कार्य भी है। फिर भी उज्जैन व त्र्यम्बकेश्वर व इस पूजा का खर्च कम आता है।

👉 साधारण उपाय

1. श्रीमद भागवत और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाते रहें।

2. दुर्गा पाठ, दुर्गा चालीसा, दुर्गा जी के समय समय पर तीर्थ से फायदा।

3. गणेश जी को दूर्वा चढ़ाये, गणेश जी की आराधना करें।

4. श्री महामत्युंजय मंत्र का जाप करने से राहू-केतु का असर खत्म होगा।

5. पितृ शांति का उपाय करें।

👉 वास्तु के उपाय

1. घर में फिटकरी, समुद्री नमक तथा देशी गाय का गौमूत्र मिलाकर रोज पोंछा लगाएं तथा गुग्गल की धूप दें।

2. जितना हो सके घर के टॉयलेट और बाथरूम को साफ करके रखे।

3. मोरपंख को तकिये के नीचे रख कर सोये।

4. घर में बड़ों का आशीर्वाद लें तथा किसी का दिल न दुखाएं और न अपमान करें।

👉 पूजा पाठ नित्य कर्म उपाय

कालसर्प दोष का सर्वोत्तम उपाय श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराना है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उसे श्रावण में रुद्राभिषेक अवश्य कराना चाहिए।शिवलिंग पर मिश्री एवं दूध अर्पित करना चाहिए, साथ ही शिव तांडव स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करना श्रेष्ठ रहता है।

मां मनसा का धाम कालसर्प दोष में किसी वरदान से कम नहीं है मां के इस दरबार में की गई कालसर्प दोष निवारण पूजा कभी खाली नहीं जाती है।

🌼 अपने घर के पूजा स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की मोर पंख वाली मूर्ति का प्रतिदिन पूजा करें।

🌼 यह दोष जहाँ व्यक्ति को परेशान करता है तो वही कई लोगो को राजा बना देता है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा और अन्य पूजा करवाने के लिए सम्पर्क करें- +918707281849