कुंडली मिलान, क्या है ज्योतिष मे कुंडली मिलान का संतान सुख का संबंध

कुंडली का मिलान आठ तरह से होता है।

वर्ण
वत्स्य
तारा
योनि
ग्रह मैत्री
गण
राशि
नाड़ी
इसके साथ कुंडली के जरिए ग्रहों का दोष भी देखा जाता है, यथा मांगलिक आदि, कुंडली मे संतान सुख आदि का विचार भी इसी से किया जाता है दांपत्य जीवन, स्वास्थ्य, मानसिकता और भाग्य के सहयोग आदि कितना है यह भी पता चलता है। आज कल लोग ऐसे भी आ रहे हैं जो ब्लड ग्रुप का भी मिलान कराते हैं। इससे भी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति का पता चलता है।

आरएच पॉजिटिव का लड़का आरएच निगेटिव ब्लड ग्रुप की लड़की से विवाह करता है तो उनसे उत्पन्न होने वाली सन्तान और मां दोनों को खतरा रहता है। जबतक गर्भ में नेगटिव ब्लड ग्रुप वाला बच्चा नही आता तबतक गर्भपात की स्थिति बनी रहती है, जो मानसिक रूप से भी पीड़ादायक है गर्भावस्था के दौरान बच्चे और मां दोनों को गंभीर समस्याएं होती हैं। यहाँ मुख्य समस्या लड़की के ब्लड ग्रुप का नेगेटिव होना है। क्योंकि माँ का शरीर गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ही एंटीबॉडीज विकसित कर लेता है जिससे भीतर पल रहा शिशु अंदर ही अंदर विकसित नही हो पाता। हालांकि इसका टीका आ गया है। फिर सही तरीका यही होगा कि शादी से पहले ब्लड ग्रुप का मिलान कर लिया जाए।

मैंने जब स्वयं कई संतानहीन लोगो की कुंडली जांच की तब पाया कि कुंडली मे नाड़ी दोष था या पंचम भाव त्रिक भाव मे या नीच या अस्त था, जिसको पंडित जन यह कह कर मिला देते है कि फलाना नक्षत्र को दोष नही लगता और महामृत्युंजय का जप करवाने का बोल देते है, जो सही नही है। पंचम भाव का पापी ग्रह से दूषित होना भी एक कारण है, तब कुंडली मे दोनो और बीज स्फुट व क्षेत्र स्फुट की गणना करवानी चाहिए व सप्तमांश का अध्ययन भी करवा लेना चाहिए, कही न कही हमारी कुंडली भी इसके बारे में कई जानकारी सटीकता से दे देती हैI कभी कभी जो मर्ज डॉक्टर नही पकड़ पाता वो इस तरह की गणना बता देती है कि कमी कहाँ हो सकती है।योग्य ज्योतिष से ही कुंडली मिलान करवाये ।

ज्योतिष  प्रियंका  पाल

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